
हरिद्वार। वेदान्त वेता टाट वाले बाबा के 32 वें वार्षिक वेदान्त सम्मेलन में स्वामी रविदेव महाराज , परमाध्यक्ष, गरीब दासीय आश्रम ने टाट वाले बाबा को नमन करते हुए कहा कि मनुष्य निष्काम भक्ति करे। इस शरीर में आशक्ति ही सबसे बड़ा बंधन है।
कामनायुक्त भक्ति नहीं करनी चाहिए, यह क्रमिक मुक्ति का साधन है। यदि आत्मा को परमात्मा से मिलन कराना है तो गुरु मंत्र का पाठ एवं निष्काम भक्ति व सत्संग करें।
स्वामी दिनेश दास शास्त्री, परमाध्यक्ष राम निवास गरीबदासीय परम्परा ने गुरु भक्ति पर एक भजन प्रस्तुत करते हुए कहा कि जो भी होगा तो तुम्ही से कहूँगा, जहाँ ले चलोगो वहीं मैं चलूगाँ।
शिष्य, गुरु के चरणों में आने पर सब सांसारिक कार्यों को छोड़ कर उनकी भक्ति में लीन हो जाता है।
स्वामी सर्वात्मानंद ने अपने सम्बोधन में कहा कि यह जगत तो स्वपन मात्र है। तीनों काल में तो जगत बना ही नहीं है।
स्वामी अखण्डानंद महाराज, परमाध्यक्ष टाटेश्वर महादेव ने बताया कि चेतना क्या है, यह शब्दों का विषय नहीं है
अपितु यह कल्पना का विषय है। स्वपन देखते हैं, रोशनी में कभी जागते हुए उस रोशनी को कलिपत करके देखें, यह अपने ढंग की अलग रोशनी है। आत्मा रस तक पहुंचना हमारा उद्देश्य है, तैयारी यदि पूरी नहीं है तो सफलता नहीं प्राप्त होगी।
मन की पवित्रता एवं एकाग्रता बहुत आवश्यक है। गुरु की देखरेख में यदि हम चलते हैं तो सफलता अवश्य मिलती हैै। निग्रह शक्ति-माया शक्ति-संसार की सच्चाई को ढक देना।
सुष्पति परमात्मा में विलय, प्राकृतिक आंतरिक लय-ज्ञान संस्कार, मन बुद्धि व इन्द्रियों में जीव को जीवन को ज्ञान नहीं होता। परमात्मा ही गुरू है, काशी में गुरु नाम की परम्परा है।
गुरु किसी भी विद्या का ज्ञाता है।
स्वामी मोहन चैतन्य जी महाराज, परमाध्यक्ष, साधना सदन ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि उनके गुरु श्रद्धेय स्वामी गणेशानन्द जी ने 12 वर्ष पश्चात् जब अपना मौन खोला तो टाट वाले बाबा जी के समक्ष खोला। विग्रह शक्ति, माया शक्ति को ढकने का कार्य करती है।
भगवान की अनुग्रह शक्ति, कृपा शक्ति के अन्दर रहकर उसका आश्रय लेकर ही भगवान ने जो बनाया उस पर हमारे लिए अनुग्रह करती है। चारों शक्ति अनुग्रह शक्ति के अन्दर ही कार्य करती हैं। उन्होंने सभी भक्तों का आह्वान किया कि वेद सम्मत यदि आप चलते हैं, तभी आपका कल्याण हो सकता है।
महापुरुष की शरण में जाना पड़ेगा, तभी भाव के अनुसार ज्ञान की प्राप्ति होगी।