
हरिद्वार। कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती वन्दना व द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। सर्वप्रथम काॅलेज में निर्मित शौर्य दीवार पर शहीदों को नमन करते हुए पुष्प अर्पित कर राष्ट्रगान गाया गया तथा देश के अमर शहीदों को पुष्पाजंली अर्पित की।
प्राचीन काल में धार्मिक यात्रा के दौरान धार्मिक तीर्थाटन करने वाले व्यक्ति यहाँ पर प्रकृति के जल, जमीन एवं आॅक्सीजन से अपने रोगों को दूर करते थे, क्याोंकि वहाँ बिल्कुल भी प्रदूषण नहीं था।
उन्होंने कहा कि जल व जंगल को तभी बचा सकेंगे जब हम स्वयं जमीन से जुड़े रहेंगे।
उन्होंने कहा कि हमें पर्यावरण संरक्षण कर पृथ्वी की प्यास बुझानी होगी।
भारत की 42 प्रतिशत आबादी गंगा पर निर्भर है, लेकिन हमने गंगा को भी जहर बना दियाहै। उन्होंने कहा कि ये नदियाँ भी जब तक हैं जब तक हिमालय राज जिन्दा हैं।
उन्होंने उपस्थित सभी से पर्यावरण संरक्षण करने का आह्वान किया।
स्पीकर प्रसिद्ध पर्यावरणविद प्रो. बी.डी. जोशी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जल संरक्षण के लिए हमें प्रकृति की प्रत्येक वस्तु का संरक्षण करना चाहिए।
जीवन की दिनचर्या में जल का उचित प्रयोग करके जल संरक्षण का किया जा सकता है।
डीएवी काॅलेज के डाॅ. पुष्पेन्द्र शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि हमारी जीवन की पूरी दिनचर्या ही जल से प्रारम्भ होकर जल पर ही समाप्त होती है,
किसी भी कार्य के लिए हमें उचित मात्रा में ही जल का प्रयोग करना चाहिए। जल की सुरक्षा हमारे घर से ही प्रारम्भ होती है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के अरूणेश पाराशर ने कहा कि जल संरक्षण का आह्वान करते हुए कहा कि पृथ्वी पर जल की मात्रा दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि जल अमूल्य संसाधान है जिसके बिना जीवमण्डल का अस्तित्व एवं पर्यावरण की अनेक क्रियायें सम्भव नहीं है।
कहा कि जल का संचय विभिन्न माध्यमों से किया जा सकता है जिसमें वर्षा जल के संचय द्वारा, तालाबों की जलधारण क्षमता में वृद्धि, अनुकूलतम जल संसाधन उपयोग हेतु जागरुकता, जल स्त्रोतों के समीप ट्यूबवेल आदि के निर्माण पर रोक, जलोपचार आदि मुख्य हैं।
प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत व धन्यवाद प्रेषित करते हुए काॅलेज के कहा कि अगर जल का सही संचय नहीं किया गया तो यह सृष्टि के विनाश का कारण बन सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में अपर्याप्त जल की समस्या किसी एक क्षेत्र विशेष में नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में है और वह दिन दूर नहीं जब जल के लिए विश्वयुद्ध छिड़ जाये। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है क्योंकि बगैर जल के जीवन की कल्पना सम्भव नहीं है।
जल मानव जीवन के लिए बहुउपयोगी है, जल की महत्त्ता के कारण मनुष्य इसे सहेजकर रखने हेतु बांधों, झीलों, तालाबों एवं इसी प्रकार के विविध प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनंसख्या ने कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है जिसमें एक प्रमुख समस्या जल उपलब्ध्ता में कमी भी है।